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लगातार : मेहनत करना सीखो ! Mastering the Art Of Perseverance 𓅫

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देखो ! लगातार मेहनत से तुम कुछ न कुछ बेहतरीन कर जाओगे ! मुझे पता है आपका भी कोई ना कोई एक सपना जरुर होगा और कोई डॉक्टर तो कोई लॉयर बनना चाहता होगा ! ऐसे ही उम्मीद के साथ अजीत ने चार महीने पहले कोचिंग शुरू की थी, लेकिन हालात कुछ ऐसे बिगड़े। कुछ ऐसा हुआ कि उसने तैयारी करना और कोचिंग जाना छोड़ दिया। आज अजीत असमंजस में था कि मैं आगे तैयारी करूं कि नहीं। कहानी है बीस साल के अजीत की, जो चार महीने पहले कोचिंग के लिए गांव से बड़े शहर आया था। अजीत होशियार था। उसे अच्छी कोचिंग में स्कॉलरशिप पर एडमिशन भी मिल गया। अजीत समझदार स्टूडेंट भी था। वह पहले दिन से तैयारी में जुट गया। हर दिन नियमित समय पर सोता और उठता। हर दिन क्लास में ध्यान से पढ़ता। कोई क्लास, कोई टेस्ट मिस नहीं करता और हर दिन असाइनमेंट्स पूरे करता। तीन चार महीने अजीत मन लगाकर पढ़ता रहा। फिर जैसे जैसे सिलेबस आगे बढ़ने लगा, अजीत को क्लासेज कठिन लगने लगी। कंसेप्ट पूरी तरह समझ नहीं आते। तब तक क्लास आगे बढ़ जाती। उसे क्लास में डाउट पूछने में दिक्कत आती थी। अजीत पीछे होने लगा। असाइनमेंट्स छूटने लगे। नोट्स रिवाइज करना और क्वेश्चन सॉल्व करना सबकुछ छूटता जा रहा था। अजीत को बैकलॉग का बोझ महसूस होने लगा, जिस कारण अजीत पढ़ने में भी इंटरेस्ट खोने लगा। कई बार वह सोचता कि अभी इतनी दिक्कत आ रही है। न जाने सिलेक्शन कैसे होगा। इसी उलझन में जब मॉक टेस्ट हुआ, पिछले छह सात चैप्टर से क्वेश्चन आए। टेस्ट के दौरान अजीत को कई कंसेप्ट याद नहीं आ रहे थे। जब अच्छे नंबर नहीं आए तो अजीत और निराश हो गया। अब अजीत के लिए लगातार एक घंटा ध्यान से पढ़ना, क्लास में फोकस करना बहुत कठिन हो गया। कुछ दिन ऐसे ही चले। जब अगला टेस्ट आया तो अजीत पूरी तैयारी नहीं कर पाया। 










इस बार अजीत ने टेस्ट दिया ही नहीं। फिर अजीत ने क्लास जाना भी छोड़ दिया। टेंशन से बचने के लिए वह दिनभर मोबाइल पर सस्ती वेब सीरीज देखता रहा। वह सोच रहा था कि पैसे बर्बाद करने से अच्छा है कि मैं घर चले जाऊं, लेकिन शर्मिंदगी के कारण वह किसी से बात नहीं कर पा रहा था। जब अजीत कुछ दिनों तक क्लास नहीं आया तो टीचर ने तुरंत अजीत को मिलने बुलाया। यह टीचर अजीत के गांव के ही थे और उसे पसंद भी करते थे। अजीत को देखते ही टीचर ने पूछा अजीत क्या हुआ? तुम ठीक तो हो? क्लास क्यों नहीं आ रहे? जैसे किसी ने दुखती रग पर हाथ रख दिया हो। अजीत ने उदास होकर कहा, सर, मैं पहले दिन से मेहनत कर रहा हूं, लेकिन क्या फायदा इतनी मेहनत का जब मेरे अंदर टैलेंट ही नहीं है। क्लास में सभी मुझसे ज्यादा टैलेंटेड हैं और आगे निकलते जा रहे हैं। मैं गांव से आया हुआ लड़का और यहां सब अच्छे स्कूलों से पढ़े हैं। इन सबकी बराबरी मैं कैसे कर पाऊंगा? मुझमें इतना टैलेंट ही नहीं है कि मैं डॉक्टर बन सकूं। टैलंट या मेहनत? सर अजीत की मनोदशा समझ रहे थे। उन्होंने पूछा, जिन लड़कों को तुम टैलेंटेड कह रहे हो, क्या ये बिना पढ़े, बिना क्लास टेस्ट में अच्छा कर सकते हैं? अजीत ने कहा, नहीं, लेकिन ये सब पिछले दो सालों से कोचिंग कर रहे हैं। मैं कहां इनकी बराबरी कर सकूंगा। सर ने कहा तुमने सही बोला। अगर कोई दो सालों में मेहनत करके इस लेवल पर आ सकता है। इसका मतलब एग्जाम तक मेहनत करके तुम भी अच्छे लेवल पर आ सकते हो। एक बात याद रखो हर बेहतर चीज़ के पीछे कंसिस्टेंट मेहनत छुपी होती है। दूसरी बात गियर बदलो। टीचर कहते हैं ये मत सोचो कि पहले मैं आगे था और अब मैं पीछे हूं। कुछ स्टूडेंट शुरुआत में अच्छा करते हैं, कुछ बीच में अच्छा करने लगते हैं, लेकिन फिर ढीले पड़ जाते हैं। 













लेकिन जैसे कुछ प्लेयर्स होते हैं जो बड़े रणजी में ज्यादा अच्छा खेलते हैं, वैसे ही कुछ स्टूडेंट्स सिलेबस के प्रेशर में डेली रुटीन नहीं छोड़ते और आखिर तक बेहतर होते जाते हैं। ये स्टूडेंट रेस के आखिर में पांचवा गियर डालते हैं, जहां बाकी सब धीमे पड़ जाते हैं। यानी ये लोग प्रेशर में अच्छे से रिवाइज करते हैं और इसलिए ये लोग जीत जाते हैं। तुम भी यही करो। अभी बैकलॉग की चिंता मत करो। बस हर दिन काम पूरा करो और पिछले दिन का रिवीजन करते रहो। बाकी रिवीजन टेस्ट की तैयारी के बीच अपने आप होता रहेगा। अजीत ने कहा, आपने ठीक कहा था, लेकिन मैं पहले तो मेहनत कर रहा था तो फिर बाकी लड़कों से पीछे कैसे रहने लगा। गैप माइंडसेट टीचर ने कहा, गैप माइंडसेट के कारण इस माइंडसेट में हम लगातार अपनी कमियों पर फोकस करके खुद को गैप यानी कमी में बनाए रखते हैं। हमको हमेशा लगता है कि हमारे अंदर कमी है और यह कमी धीरे धीरे बढ़ती जाती है। अजीत, तुम लगातार अपने दिमाग में दूसरों से कंपैरिजन कर रहे हो। दिनभर अपनी कमियों के बारे में सोच सोचकर बड़ा करते जा रहे हो और लगातार नेगेटिव होते जा रहे हो। तुम टैलेंट के कारण नहीं, नेगेटिविटी के कारण पीछे हो रहे हो। जब सर पर थोड़ी परेशानी आती है तो हम नकारात्मक हो जाते हैं और भूल जाते हैं कि हमारे पास कितनी बेशकीमती योग्यताएं हैं। तुम खुद से पूछो तुम्हारे अंदर क्या योग्यताएं हैं जो इस कॉम्पटीशन को जीतने में तुम्हारी मदद करेंगी? अजीत ने कुछ सोचकर कहा, मैं कंसेप्ट को बहुत गहराई से समझ जाता हूं, इसलिए मुझे समय लगता है। मुझे कठिन लॉजिकल क्वेश्चन सॉल्व करना अच्छा लगता है। मेरी एक्यूरेसी भी बेहतर है। टीचर ने कहा, शाबाश अजीत, ये सारी चीजें तुम्हें हमेशा काम आएंगी। इन्हें साल दर साल बेहतर करते जाओ। अजीत ने कहा, लेकिन सर, जब मार्क्स कम आते हैं तो हिम्मत टूट जाती है। सही से पढ़ नहीं पाता। मन हार जाता है।















 समझ नहीं आता कि क्या करूं। सर ने कहा ये समय संघर्ष का है और इस समय छोटी छोटी जीत देखने और मेहनत करने के अलावा हमारे पास ऑप्शन ही क्या है। जबसे तुमने कॉम्पटीशन के लिए पढ़ना शुरू किया तब से तुमने कई मायनों में तरक्की की होगी। हर दिन अपनी छोटी छोटी जीत महसूस करो, हर दिन अपनी दो जीत पेपर पर लिखो और बार बार खुद को याद दिलाओ कि मैं हर दिन हर तरह से बेहतर होता जा रहा हूं ताकि मन में नेगेटिविटी ना टिक सके। अगर मन में नेगेटिविटी नहीं होगी तो खुद पर विश्वास बना रहेगा और तुम जीवन में कुछ ना कुछ बेहतरीन कर जाओगे। हर सफल इंसान को एक समय दिक्कत आती है तुम्हारी तरह बाकी नाइंटी परसेंट लोग हैं जो लगातार स्ट्रगल करते हैं। इन परसेंट लोगों में से जो लोग हार नहीं मानते और आखिरी दिन तक खुद को बेहतर करने की कोशिश करते हैं, वे मेहनत और कंसिस्टेंसी के दम पर आखिर तक लगातार कॉम्पटीशन में बने रहते हैं। अजीत ने कहा, तो क्या नेगेटिविटी मिटाने से मेरा सिलेक्शन हो जाएगा? टीचर ने कहा सिलेक्ट होने के लिए लगातार मेहनत करनी पड़ेगी। कंसिस्टेंट बेहतर होना पड़ेगा। लेकिन अगर तुम टैलेंट के नाम पर आज हार मान लोगे तो सेलेक्शन के साथ साथ पूरा जीवन खराब हो जाएगा। जीवन में तुम जो भी आगे करोगे, वहां भी यही शिकायत करने वाला एटीट्यूड लेकर जाओगे। तुम्हें खुद पर का भी विश्वास नहीं होगा कि मैं जो कर रहा हूं, वह अच्छे से कर रहा हूं। तुम्हें मन में हमेशा अपने ऊपर डाउट बना रहेगा और ये बहुत बेकार मेंटल स्टेट है। इसलिए कुछ भी करो, अपने मन से हार मत मानो। अगर पूरा मन लगाकर की जाए तो हर एग्जाम और तैयारी तुम्हारे कैरेक्टर को मजबूत बनाता है और अच्छा कैरेक्टर ही नाकि जॉब की डिग्री। एक अच्छा कैरेक्टर ही तुम्हारी जिंदगी को बेहतर बनाता है। बस शर्त यही है कि तुम हर दिन अपनी जीत देखो, लगातार मेहनत करो और आखिर तक टिके रहो। बस एक यही तरीका है जिससे तुम अपना करियर बचा सकते हो। दोस्तो अगर आपको ये वीडियो पसंद आया तो देखिए कि अभ्यास में कितनी ताकत होती है। कैसे अभ्यास आपकी स्किल का लेवल ही नहीं बल्कि आपके व्यक्तित्व को अंदर से बदल देते हैं दोस्तों उम्मीद है यह वीडियो से आपने बोहत कुछ सीखा होगा ! देखो पढाई करते समय बस distraction तुम्हारे सामने आएंगे ! मन को कैसे शांत करना है तो ये वीडियो देखो! टब तक के लिए सब्सक्राइब करो! 

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