धैर्य : सब कुछ जीत सकता है ! The power of Patience ☸
कभी-कभी बड़े लक्ष्यों को पाने में हमारा धैर्य टूट जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, आप में कितना अद्वितीय धैर्य संग्रहित है?" एक बार कि बात है, एक छोटे से गांव में एक ग़रीब किसान रहता था। उस ग़रीब किसान का एक मित्र भी था। एक दिन उसके मित्र ने उसे कुछ बीज दिये। और बताया, कि ये बीच बान्स के पेड़ की उस प्रजाति के हैं, जो चीन में पाए जाते हैं। इन पेड़ो की ऊँचाई 90 फीट तक होती है। उस ग़रीब किसान ने वे बीच अपने दोस्त से ले लिये, और उन्हें खेत में बो दिया। उसे उम्मीद थी, कि जिस दिन वे बांस के ऊंचे पेड़ बन जायेंगे, उन बासो को बेचकर उसे अच्छी कमाई करेगा और उसका परिवार अच्छे से जीवन यापन करेगा। वह उन बीजों को पानी देता, दिनभर उनकी देखभाल करता, और रात में भगवान से प्रार्थना करता, कि उसके सपने पूरे हो जाये और उसे बीजों से 100 प्रतिशत परिणाम मिले। वह रोज खेतों में जाकर देखता, कि बीज अंकुरित हुए हैं या नहीं। परन्तु उसे उन बीजों में कोई परिवर्तन नही दिखाई पड़ता । धीरे-धीरे समय बीतता गया, और किसान को खेत में कोई परिवर्तन नहीं दिखा। इस प्रकार एक वर्ष बीत गया। लेकिन बीजों से अन्कुर नहीं फुटे दुसरे प्रजाति के बीज सामान्यतः, एक सप्ताह में अंकुरित हो जाते थे और कुछ ही महीनों में ही फसल आ जाती थी। उससे प्राप्त फसल के द्वारा ही, उस गरीब किसान के परिवार का पालन-पोषण होता था। किसान सोचता है, कि इस प्रकार आज तो उसका गुजारा चल रहा है। लेकिन उसके सपने पूरे नही हो सकते और न ही भविष्य उज्वल हो सकता है। बांस के पेड़ो की ही बदौलत वह अपने उज्जवल भविष्य के सपने सजोता था । लेकिन जैसे समय बीतता गया, और वे बीज अंकुरित नही हुए तो किसान को अपने सपने और आशायें टूटती हुई नजर आने लगी। उसे मन ही मन शंका हुई, कि कहीं वे बीज सड़ तो नही गए हैं। इसी प्रकार एक वर्ष और बीत गया। लेकिन बीजों में अन्कुरन नहीं हुआ। अन्य किसान और गांव के लोग उस गरीब किसान का मजाक उड़ाने लगे कि वह बेकार के बीजों पर अपना समय और मेहनत गंवा रहा है। सबके ताने सुनकर वह गरीब किसान घबरा गया। उसके मन में यह डर समाने लगा, कि कहीं वह सच में ही अपना समय और मेहनत ऐसे काम पर तो नहीं लगा रहा है। कि जिससे उसे कोई परिणाम ना मिले। किसान ने सोचा कि अगर मेरे खेत में फसल नहीं आई, तो मेरी गांव वालों के सामने नाक कट जाएगी। और मैं बर्बाद हो जाऊंगा।
इसी प्रकार एक वर्ष और बीत गया, लेकिन बीजों में अन्कुरन नही फूटा और ना ही अन्कुरन का कोई चिन्ह् दिखाई दिया। लोगो द्वारा किसान का मज़ाक उड़ाना जारी रहा। लेकिन किसान के डर के बाद भी अपने मन में छोटी सी आशा बांधे रहा। इसलिये उसने लोगों के मज़ाक को अनसुना कर करके बीजों की देखभाल करना जारी रखीं। कई ऋतुयें बीतती चली गई, अब किसान को किसी चमत्कार की आशा थी। किसान बीजों को रोज पानी देता रहा, और रोज उनकी देखभाल करता रहा। लेकिन चार साल गुजर जाने के बाद भी बीजों में कोई अंकुरन नही हुआ। और ये सब देखकर उस गरीब किसान की
उम्मीदें थोड़ी और कमज़ोर हो गई। लेकिन फिर भी वह रोज उन बीजों को पानी देता, और उनकी देखभाल करता। जैसे जैसे समय बीतता गया। किसान की उम्मीदें और कमज़ोर होती चली गई। लेकिन भगवान पर उसका विश्वास अटूट था। उसे इस बात की उम्मीद थी, की भगवान उसकी मेहनत का फल उसे ज़रूर देंगे।पाँच साल बीत जाने के बाद अचानक, एक सुबह गाँव के लोगों को, उस किसान के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई पड़ी। वे सभी अपने घर से बाहर निकल आते हैं, और देखते हैं, कि वह किसान अपने खेत के सामने खड़ा होकर खुशी से चिल्ला रहा है और पास जाकर देखने पर सभी गाँव वालों की आँखें खुली की खुली रह गयी। किसान के खेत पर बांस से बीज अंकुरित हो गये थे। गरीब किसान की खुशी की कोई सीमा न थी । पाँच साल का उसका परिश्रम रंग लाया था। गरीब किसान के खेत गाँव वालो के आकर्षण का केंद्र बन गये। बांस के पेड़ तेजी से बढ़ रहे थे, पाँच फिट, दस फ़िट, बीस फ़िट पचास फिट, सत्तर फ़िट, अस्सी फ़िट और नब्बे फ़िट । बांस के पेड़ों को देखकर ऐसा लग रहा था, कि जैसे आसमान छू रहे है। किसान का खेत पाँच साल से ख़ाली था, और मात्र पाँच सप्ताह में ही छू नब्बे फीट बांस के पेड़ो से भर गया। इस चमत्कार को देखकर सभी दंग रह गये थे, और इधर किसान की खुशी की कोई सीमा न थी । वे बांस के पेड़ न ही केवल उसके परिवार का, बल्कि उसकी कई पीढ़ियों का पालन पोषण करने में सक्षम थे। वह बार-बार भगवान का धन्यवाद करता रहा। किसान की समझ में आ गया था, जो शिक्षा उसे मिली है, वह अमूल्य है।उसने सपनों के बीज बोने और उसे वर्तमान दशा में लाने के लिये, हर रोज उसका पोषण और देखभाल करने, शिक्षा मिल गई थी । और इसके साथ ही उसने लोगों की नकारात्मक बातों पर ध्यान न देने की भी शिक्षा पा ली थी। उसने अपने भय और शंकाओ से परै हटकर अनवरत मेहनत करने के महत्व को समझ लिया था। और साथ ही भगवान पर उसका विश्वास और भी ज्यादा अटूट हो गया था। गरीब किसान ने पूरे गाँव के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। जिसे देखने के बाद गाँव के अन्य किसानो ने भी अपने खेतों पर बांस के पेड़ उगाये, और धैर्य से हर दिन उसकी देखभाल करने लगे। दोस्तों, किसान को तो अपने सपनो पर विश्वास था, आपका क्या, क्या आप अपने सपनों को पूरा करने के लिये हद से ज्यादा मेहनत करने के लिये तैयार हैं। आपके अन्दर कितना धैर्य है, आप अपने सपनो पर विश्वास रखें, खुद पर विश्वास रखें। धैर्य बनाये रख कर मेहनत करते रहे। सफलता अवश्य मिलेगी।